मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य आपस में इतने घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं कि दोनों एक दूसरे के बिना पूरक हैं। शारीरिक स्वास्थ्य तभी ठीक रहेगा जब शरीर को आराम मिलेगा और शरीर को आराम तभी मिलेगा जब स्वस्थ रहने के लिए भोजन अच्छा होगा याने स्वस्थ रहने के लिए खानपान अच्छे हो।
1. मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण.
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण हैं निर्णय लेने और किसी भी बात का निर्णय लेने में सक्षम होते हैं वह कम से कम समय में नई परिस्थितियों से तालमेल बिठा लेता है और इस कारण वह अद्वितीय बुद्धि का धनी होता है।
2. मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति.
वह किसी भी बड़ी परिस्थिति से जल्द से जल्द शांतिपूर्ण तरीके से निपटने में सक्षम होता है, मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति होने के कारण वह जानता है कि यह सब संभव है। अगर व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो यह सब करना मुश्किल होगा। शारीरिक स्वास्थ्य के कई कारक होते हैं, उनमें से कुछ बताने जा रहा हूँ।
i) मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के अगर खान-पान अच्छा नहीं है तो मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य में समस्या हो सकती है।
ii) संसाधन या अन्य घरेलू स्थितियाँ मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की जीवनशैली को प्रभावित करने वाली स्थिति को भी बदल सकती हैं।
iii) नौकरी या रिश्ते में चुनौतियाँ आने पर स्वस्थ मुकाबला करने का कौशल होना भी महत्त्वपूर्ण है। हर दिन अनोखे उतार-चढ़ाव से भरा होता है और अच्छे रिश्ते काम आते हैं। पारिवारिक स्वास्थ्य बना रहता है और जीवन सुचारू रूप से और खूबसूरती से चलता रहता है।
iv) भोजन घर में हो तो अच्छा माहौल भी बनता है। स्वस्थ रहने के लिए खान-पान और आधुनिक जीवनशैली भी बहुत जरूरी है।
3. संतुलित आहार की कमी से होने वाले रोग.
i) शरीर को उसकी आवश्यकता के अनुरूप शुद्ध भोजन न मिल पाने के कारण शरीर में अनेक रोगों का सामना करना पड़ता है। संतुलित आहार के अभाव से होने वाले रोग हानिकारक भोजन से भी होते हैं। जिसका असर हमारे शरीर के अंगों पर पड़ता है और सही मात्रा में भोजन न मिलने से व्यापक कुपोषण होने से शारीरिक विकास पर असर पड़ता है।
ii) संतुलित आहार सही मात्रा में न मिल पाना याने फल और सब्जियाँ पोटेशियम, आहार फाइबर, विटामिन-सी और फोलेट सहित कई आवश्यक पोषक तत्व शरीर को नहीं मिल पाते तो बिना आहार से शरीर को संतुलन बिगड़ जाता हैं। जब शरीर को प्रोटीन और विटामिन के स्रोत नहीं मिलेंगे तो कुपोषण की समस्या उत्पन्न हो जाएगी और तब अधिकांश समस्याओं की जड़ कुपोषण ही होता हैं।
iii) कुपोषण से बच्चे का शरीर पतला और अपंग हो जाता है। चाहे बुजुर्ग हों या किसी भी उम्र के हों, संतुलित आहार के अभाव में बीमारियाँ होना स्वाभाविक है। कुपोषण से रक्तचाप कम हो सकता है और दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। आंखों और पाचन शक्ति पर भी असर पड़ता है।
आवश्यक पोषक तत्व न मिल पाने के कारण मानव शरीर का जीवन बेकार हो जाता है और अंततः उसे समय से पहले ही मरना पड़ता है। महिलाओं और बच्चों में अधिकांश बीमारियों का मूल कारण कुपोषण है।
iv) ऊर्जा से भरपूर स्वस्थ रहने के लिए खाद्य पदार्थ कार्बोहाइड्रेट और वसा, साबुत अनाज, बाजरा, वनस्पति तेल, घी, नट्स, तिलहन का सेवन करें। हड्डियों को मजबूत बनाने वाले आहार में दालें, नट्स, तिलहन, दूध और दूध से बने उत्पाद, मांस, मछली को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
सुरक्षात्मक खाद्य पदार्थ विटामिन और खनिज इसमें हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अन्य सब्जियाँ, फल, अंडे, दूध और दूध उत्पाद शामिल हो सकते हैं। मछली, मुर्गी, दालें और मेवे प्रोटीन के स्वस्थ और बहुमुखी स्रोत हैं। लाल मांस कम मात्रा में खाना चाहिए और प्रसंस्कृत मांस, जैसे ‘बेकन’ और ‘सॉसेज’ से बचना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए भोजन यानी स्वच्छ भोजन जरूरी है।
4. स्वास्थ्य ही जीवन है पर बुद्दिजीवी का विचार.
i) स्वास्थ्य ही जीवन है बुजुर्गों, बुद्दिजीवी लोग जनमानस में बोला करते थे। जीवन को यदि सुरक्षित बचाये रखना हैं तो स्वास्थ्य को ठीक रखना होगा। “साम सुबह के हवा और लाख रुपए के दवा”। बुद्दिजीवी लोगों का नारा रहा हैं। इसलिए समय पर सोना व समय पर उठ जाना और सही पर भोजन करना स्वास्थ्य जीवन के लिए हितकर हैं।
ii) स्वस्थ रहने के लिए खान-पान और वह भी साफ-सुथरा भोजन भी जरूरी है। स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है क्योंकि जीवन को बेहतर आयाम देने के लिए स्वस्थ रहना जरूरी है। वह किसी दौलत से कम नहीं है। स्वास्थ्य का अर्थ स्वस्थ जीवन खुशी से कम नहीं है और खुशी ही स्वास्थ्य और खुशी है।
अगर आपके पास लाखों रुपये हैं और आप उन्हें स्वास्थ्य के अलावा किसी और काम में इस्तेमाल कर रहे हैं तो ठीक है, लेकिन स्वस्थ रहने के लिए इसका एक बड़ा हिस्सा भोजन पर भी खर्च करना चाहिए, ताकि पूरा परिवार खुशहाल रहे।
स्वास्थ्य का हिन्दी अर्थ है स्वास्थ्य ही धन है। स्वस्थ रहकर पैसा कमाया जा सकता है। बुजुर्ग अच्छे स्वास्थ्य को धन मानते थे। स्वास्थ्य ही जीवन है, यह भी सत्य है।
5. पानी, चाय या कॉफ़ी पिये.
मीठे पदार्थों से दूर रहें, दिन में केवल एक या दो बार दूध और अन्य डेयरी खाद्य पदार्थ खाएँ और एक दिन में एक छोटे गिलास से अधिक फलों का रस न पियें।
6. स्वस्थ भोजन याने गुणवत्तापूर्ण आहार.
i) कार्बोहाइड्रेट की मात्रा के बजाय हम अपने आहार में किस प्रकार के कार्बोहाइड्रेट खाते हैं, इसके बारे में सोचना अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि कार्बोहाइड्रेट के कुछ स्रोत-जैसे सब्जियाँ (आलू के अलावा) , फल, साबुत अनाज और दालें-अन्य स्रोतों से आते हैं।
ii) स्वस्थ भोजन की थाली लोगों को शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों से दूर रहने के लिए भी कहती है, जो चीनी, या “कैलोरी” से भरे होते हैं-और आमतौर पर बहुत कम पोषण होते हैं।
iii) स्वस्थ भोजन प्लेट लोगों को स्वस्थ “वनस्पति तेल” खाने के लिए प्रोत्साहित करती है और स्वस्थ स्रोतों से “वसा” की खपत पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
7. प्रोटीन की शक्ति को जाने.
मछली, पोल्ट्री, दालें और अखरोट प्रोटीन के स्वस्थ और बहुमुखी स्रोत हैं-इन्हें सलाद में जोड़ा जा सकता है और सब्जियों के साथ अच्छी तरह से खाया जा सकता है। लाल मांस कम मात्रा में खाना चाहिए और प्रसंस्कृत मांस, जैसे ‘बेकन’ और ‘सॉसेज’ से बचना चाहिए।
8. स्वस्थ वनस्पति तेल का उपयोग.
स्वस्थ वनस्पति तेल चुनें, जैसे कि जैतून, कैनोला, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली, सरसों, आदि और ‘आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत’ तेलों से दूर रहें, क्योंकि इनमें अस्वास्थ्यकर ‘ट्रांस वसा’ होते हैं। याद रखें, केवल कम या बिल्कुल वसा न होने से कोई भोजन “स्वस्थ” नहीं बन जाता।
9. सक्रिय और खुस रहे.
सक्रिय रहना वजन संतुलन के लिए भी महत्त्वपूर्ण है इसलिए सक्रिय रहे और खुस रहे।