Chandrapur Chhattisgarh Maa Chandrahasini, Chandrahasini Devi Temple Story.
माँ चंद्रहासिनी मंदिर के परिचय इस प्रकार हैं। जो चंद्रपुर छत्तीसगढ़ पर स्थित हैं जिसे Chandrahasini dham. से जाना जाता हैं। यह है छत्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत मंदिर हैं। इसकी खूबसूरती देखने लायक है। यह पहाड़ पर खड़ा है इसलिए इसे पहाड़ा वाली कहा जाता है।
इस मंदिर में कई भगवान और देवी की मूर्तियाँ हैं जो दो मूर्तियाँ बहुत बड़े आकार की हैं। एक हनुमान की मूर्ति जिसकी ऊंचाई 50 फीट कुछ और एक अर्ध-नरेश्वर की मूर्ति जिसकी ऊंचाई 45 फीट कुछ है। चलित-मूर्ति, गुफा, फौहारा भी इस मंदिर के बहुत सुंदर हैं।
1.चंद्रहासिनी देवी मंदिर छत्तीसगढ़। Chandrapur Temple Chhattisgarh.
सर्वकामना पूर्ति माँ चंद्रहासिनी देवी मंदिर चन्द्रपुर में हैं जो छत्तीसगढ़ राज्य में आता हैं। माँ चंद्रहासिनी मंदिर का प्राचीन मंदिर है जो छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में महानदी के तट पर स्थित है।
हर साल नवरात्रि की पूर्व संध्या पर यहाँ बहुत बड़ा आयोजन होता है। यह पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर रायगढ़ जिले के बहुत करीब है यह रायगढ़ से लगभग 25 कि.मी. के दूरी पर स्थित हैं। आप एक बार माँ चंद्रहासिनी देवी मंदिर के दर्शन करने जरूर जाये।
2.चंद्रपुर की कहानी। Chandrapur Chhattisgarh Ki Kahani.
जब हम लोगों छोटे बच्चे थे तब हमारे दादा, दादी या नाना, नानी द्वारा माँ चंद्रहासिनी देवी के कहानी उनके जुबानी सुना करते थे। यह आज के समय में एक प्राचीन बात हो गई है और जब से स्मार्ट फोन का युग आया है, हर किसी के पास इंटरनेट से ऑनलाइन जानकारी मिलती है।
खैर, इसी कड़ी में मैं आपके लिए अपने ब्लॉग galaday. in पर चंद्रहासिनी देवी माँ की यादों को आप तक लेकर आ रहा हूँ। यह मेरे सौभाग्य कि बात हैं कि मैं माँ चंद्रहासिनी देवी के बारे में अध्ययन किया और उनके बारे में बहुत कुछ जाना जिसे आप तक पहुचा रहा हूँ।
कई प्रचलित और मान्यताओं के अनुसार माँ चंद्रसेनी देवी हजारों साल पहले सरगुजा की धरती को छोड़कर उदयपुर और रायगढ़ होते हुए महानदी के तट पर चंद्रपुर आ गईं। महानदी की पवित्र शीतल धारा से प्रभावित होकर माता यहीं विश्राम करने लगती हैं।
बरसों बीत जाने के बाद भी वह सोती रही वह जगी नहीं और यह मान्यता हैं कि एक बार सम्बलपुर के राजा की सवारी यहाँ से गुजरती है, तो अनजाने में चंद्रसेनी देवी को पैर लग जाते हैं और माँ जाग जाती है। फिर और क्या होना था माँ अपने भक्त रूपी राजा को सपने देने लगी, देवी माँ उसे मंदिर बनाने और यहाँ मूर्ति स्थापित करने का निर्देश देती हैं।
कहते हैं कि राजा को यह सब शुभ लगा और वह मंदिर निर्माण हेतु कार्य के लिए चंद्रपुर के जमीनदार को ज़िम्मेदारी दिया जो आज के तत्कालीन समय में चंद्रपुर के राजा घराने के नाम से जाना जाता हैं। माँ चंद्रहासिनी देवी जमींदार याने चंद्रपुर के राजा घराने के कुल देवी बनी जो आज भी उनको कुल देवी के नाम से पुजा किया जाता हैं।
सम्बलपुर के राजा चंद्रहास द्वारा मंदिर निर्माण और देवी स्थापना का उल्लेख मिलता है। देवी चंद्रहास के आकार यानी चंद्रमा के समान चेहरे के कारण उन्हें चंद्रहासिनी देवी के नाम से भी जाना जाने लगा।
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3.चंद्रहासिनी दर्शन। Chandrahasini Darshan.
यहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं। चंद्रहासिनी माँ के दर्शन करने से एक तरह से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं, माँ के अंतःकरण से पुकारे जाने पर पीड़ा दूर हो जाती है और तन मन हल्का हो जाता है यह बात सत्य हैं कि यदि हृदय से माँ के लिए आवाज निकले तो कस्ट दूर होना तय हैं।
माँ चंद्रहासिनी दर्शन से श्रद्धालु के दुख पीड़ा हरने वाली के नाम से विख्यात हैं। ऐसा माना जाता है कि यहाँ माँ बिना किसी भेदभाव के अपने सभी भक्तों के दुख दर्द दूर करती हैं। शायद यही वजह है कि यहाँ सभी सीजन सभी महीने में भक्तों का तांता लगा रहता है।
यहाँ उनकी मनोकामना पूरी करने के लिए बकरे और मुर्गे की बलि दी जाती है। बकरे और मुर्गे की बलि देने के प्रथा चन्द्रपुर के राजा के शासन से चला आ रहा हैं आज भी नवरात्रि पर्व के समय पोड को बलि दिया जाता हैं।
नवरात्रि के दौरान इस मंदिर के भक्तों द्वारा जोत कलश की स्थापना भी की जाती है। कई भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने पर अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहाँ माँ के दरबार में जोत कलश की स्थापना करते हैं।
माँ चंद्रहासिनी मंदिर परिसर में, माता के मंदिर के अलावा, कई अन्य नज़र आने वाले मूर्तियाँ हैं, जिनमें मुख्य रूप से हैं अर्धनारीश्वर, महाबली हनुमान, कृष्ण की लीला, चीर हरण के दर्शन, महिषासुर का वध, चार धाम, नवग्रह की मूर्ति और अन्य देवता की मूर्ति भी है।
आपको बता दें कि इस मंदिर के दूसरी तरफ जमीन के अंदर सुरंग बनाई गई है आप यहाँ घूमने जा सकते हैं। महानदी में नौका विहार के लिए लकड़ी की नाव में घूम सकते हैं।
सूर्योदय या सूर्यास्त के समय अवश्य जाना चाहिए नाव से पुल तक का दृश्य लुभावनी लगता है और वहाँ से माँ चंद्रहासिनी मंदिर बहुत अच्छा और प्यारा दिखता हैं।
4.नाथल दाई मंदिर। Nathal Dai mandir.
महानदी की पवित्र धारा में स्थित चंद्रपुर नदी के बीचो बीच माता नाथालदाई का बहुत ही प्यारा मंदिर है, जो माँ चंद्रहासिनी मंदिर से लगभग 1 से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसी मान्यता है कि माँ चंद्रहासिनी के दर्शन के बाद माता नाथालदाई के दर्शन करना सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसी भी मान्यता है कि नाथालदाई को देखे बिना वापस आने पर माता को गुस्सा आ जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि बारिश के मौसम में महानदी के पानी से भर जाने के बाद भी माता नाथालदाई के मंदिर नहीं डूबता, यह सच है क्योंकि मैंने कभी नहीं सुना कि माँ के दरबार में कभी पानी पहुँचा होगा।
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5.चंद्रपुर इतिहास। Chandrapur History.
चंद्रपुर के इतिहास पर नजर डालें तो हजारों साल पहले जमींदारों का एक कस्बा था, जो बाद में उसी जमींदार को वहाँ के राजा बनाया गया। चंद्रपुर के राजा बनने के पीछे सम्बलपुर के राजा चंद्रहास का समर्थन देना की बात निकालकर आता हैं राजा चंद्रहास के बदौलत चंद्रपुर के राजा नें माता चंद्रहासिनी के मंदिर के निर्माण किया और बाद में उनके कुलदेवी भी बनी।
माता चंद्रहासिनी के बारे में यह बात भी कहा जाता हैं कि धरती पर जहाँ−कहीं भी माता सती के अंग गिरे थे, वर्तमान में शक्ति माता श्री दुर्गा के शक्तिपीठ स्थापित हैं। छत्तीसगढ़ में भी कई जगहों पर माँ का शक्तिपीठ स्थापित है। जिनमें से एक है माता चंद्रहासिनी का मंदिर को माना जाता हैं।
सिद्ध माँ दुर्गा के 51 शक्तिपीठों के बाद इसे 52 शक्तिपीठों के रूप में माँ चंद्रहासिनी को जाना जाता हैं। उनको नाम करन के पीछे यह भी तथ्य निकालकर आता हैं वह हैं चंद्रमा के आकार के समान मुख होने के कारण इसकी प्रसिद्धि चंद्रहासिनी और चंद्रसेनी या चंद्रसैनी माँ के नाम से जानी जाती है।
6.चंद्रपुर का नदी। Chandrapur Ka Nadi.
चंद्रपुर की नदी को महानदी के नाम से जाना जाता है, यह तीन नदियों के संगम से बनी है और यह नदी तीनों नदियों में मुख्य है, इसलिए इसे महानदी नाम दिया गया होगा। दूसरा बात यह हैं कि महानदी को भारत में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सबसे बड़ी नदी के रूप में जाना जाता है।
महानदी सिहावा पर्वत से निकलती है। यह पर्वत धमतरी जिले में स्थित है। यह अपने स्थान से निकलकर लगभग 855 किलोमीटर की दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। यह भारत की प्रमुख नदियों में से एक है।
माता चंद्रहासिनी का मंदिर जांजगीर-चांपा जिले की डभरा तहसील में मांड नदी, लात नदी और महानदी के संगम पर चंद्रपुर में स्थित है, जहाँ देवी शक्ति माँ चंद्रहासिनी का मंदिर है। यहाँ सिद्ध माँ दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक माँ चंद्रहासिनी के रूप में विराजमान है।
7.चंद्रहासिनी मंदिर दिखाइए। chandrapur chhattisgarh images.
छत्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत मंदिर सर्वकामना पूर्ति माँ चंद्रहासिनी देवी के मंदिर नीचे चित्र हैं उनके द्वारा देख सकते हैं माँ चंद्रहासिनी मंदिर का प्राचीन मंदिर है इसकी खूबसूरती देखने लायक है।
8.चंद्रपुर का वीडियो। Chandrapur chhattisgarh video.
माँ चंद्रहासिनी देवी के वीडियो देख सकते हैं इनके महिमा को कई कलाकारों द्वारा वीडियो बनाया गया हैं देख सकते हैं।
9.चंद्रहासिनी कितने किलोमीटर है। Chandrahasini Kitne Kilometer Hai.
चंद्रहासिनी कितने किलोमीटर है यह सभी के ख्याल में आता हैं तो जाने माँ चंद्रहासिनी के दर्शन करने कहाँ से जाना हैं और कितने किलोमीटर है।
ii) चंद्रपुर से रायगढ़ छत्तीसगढ़। chandrapur raigarh Chhattisgarh.
रायगढ़ से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर माँ चंद्रहासिनी मंदिर है। आपको NH153 / NH49 से होकर जाना होगा, आप रायगढ़ से चंद्रपुर लगभग 40 मिनट में पहुँच सकते हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन रायगढ़ है जहाँ से आप बिलासपुर, रायपुर या झारसुगुडा की ओर ट्रेन से आ या जा सकते हैं, उसके बाद आप बस या निजी गाड़ी से चंद्रपुर माँ चंद्रहासिनी मंदिर जा सकते हैं।
ii) चांपा से चंद्रपुर दूरी। Janjgir To Chandrapur cg Distance.
चन्द्रहासिनी मंदिर जांजगीर-चांपा से बस में या अपने प्राइवेट गाड़ी से जाया जा सकता हैं इनकी दूरी लगभग जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से चंद्रपुर 120 किलोमीटर पर स्थित हैं।
iii) सारंगढ़ से चंद्रहासिनी चंद्रपुर। Sarangarh to Chandrahasini Chandrapur.
चंद्रहासिनी देवी का मंदिर के दर्शन के लिए सारंगढ़ से भी जा सकते हैं जिनकी दूरी लगभग 20 किलोमीटर हैं। यह से बस में या गाड़ी बुक करके या अपने निजी वाहन से जा सकते हैं।
iv) खरसिया से चंद्रहासिनी चंद्रपुर। Kharsia to Chandrahasini Chandrapur.
चंद्रहासिनी देवी का मंदिर के दर्शन के लिए खरसिया से भी जा सकते हैं जिनकी दूरी लगभग 42 किलोमीटर हैं आप बस से या अपने प्राइवेट गाड़ी से जा सकते हैं।
v) रायपुर से चंद्रहासिनी कितने किलोमीटर है। Rraipur To Chandrapur Chhattisgarh.
रायपुर से चंद्रहासिनी माँ का मंदिर सड़क मार्ग से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 221 किमी की दूरी पर स्थित है। आप बस से या निजी वाहन या फिर किराये के गाड़ी से चंद्रहासिनी जा सकते हैं।
ट्रेन से आने पर रायपुर से रायगढ़ उतरना होगा, उनके बाद बस या फिर प्राइवेट गाड़ी से चंद्रहासिनी चंद्रपुर जा सकते हैं।
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vi) हवाई यात्रा, हवाई मार्ग air travel, air route.
* जिंदल हवाई पट्टी जो जिंदल स्टील एंड पवार लिमिटेड द्वारा बनाई गई है। यह निजी हवाई पट्टी हैं उनके बावजूद, बाहर से आने-जाने के लिए हवाई यात्रा प्रदान करती है। जिंदल हवाई पट्टी से उतरने के बाद रायगढ़ होते हुए चंद्रहासिनी माँ के मंदिर जा सकते हैं।
* बिलासा देवी केंवट हवाई अड्डा, बिलासपुर में उतरने के बाद बस या पाइवेट गाड़ी से या फिर ट्रेन से रायगढ़ होते हुये चंद्रहासिनी माँ के मंदिर जाया जा सकता हैं।
* स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा, रायपुर से उतरकर बस या प्राइवेट गाड़ी या ट्रेन से रायगढ़ होते हुये चंद्रहासिनी माँ के मंदिर जाया जा सकता हैं।
* झारसुगुडा हवाई अड्डा वीर सुरेन्द्र साए हवाई अड्डा से उतरकर बस या पाइवेट गाड़ी से आ सकते हैं या फिर रायगढ़ तक ट्रेन में उनके बाद बस या प्राइवेट गाड़ी से चंद्रहासिनी माँ के मंदिर जाया जा सकता हैं।
10.चंद्रपुर विधानसभा छत्तीसगढ़। chandrapur vidhan sabha Chhattisgarh.
चंद्रपुर छत्तीसगढ़ राज्य का एक विधानसभा क्षेत्र जिसे है और जांजगीर-चांपा जिले (एससी) लोकसभा / संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। चंद्रपुर छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले और मध्य क्षेत्र में आता है। इसे अर्ध-शहरी सीट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
i) चंद्रपुर छत्तीसगढ़ एमएलए। chandrapur chhattisgarh mla.
चन्द्रपुर विधानसभा के तत्कालीन विधायक माननीय राम कुमार यादव हैं। जो 2018 में विधायक बने हैं।
ii) चंद्रपुर छत्तीसगढ़ होटल। chandrapur chhattisgarh hotel.
चंद्रपुर छत्तीसगढ़ में खाने के लिए होटल मिल जायेगा परंतु रुकने के लिए कुछ एक दो होटल हैं जो बहुत छोटे-छोटे हैं आप रायगढ़ में रुक सकते है यहाँ अच्छे होटल उपलब्ध हैं।
iii) चंद्रपुर छत्तीसगढ़ पिन कोड। chandrapur chhattisgarh Pin Code.
State: Chhattisgarh, District: Janjgir-champa, Location: Chandrapur so Janjgir-champa, Pincode: 495692
11.मेरा विचार My opinion.
माँ दुर्गा के 51 शक्तिपीठों के बाद इसे 52 शक्तिपीठ कहा जाता है, जो चंद्रमा के आकृति में विराजमान माँ चंद्रहासिनी हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे कई मंदिर हैं जो पूरे देश में अपने क्षेत्र को गौरवान्वित करते हैं और इसमें से एक माँ चंद्रहासिनी देवी हैं आप कभी भी माँ चंद्रहासिनी देवी एवं नाथल दाई के दर्शन करने जा सकते हैं।
देवी स्थल सभी सीजन सभी समय इसकी खूबसूरती देखने लायक होता है। यह पहाड़ पर खड़ा है इसलिए इसे पहाड़ा वाली कहा जाता है। इस मंदिर में कई देवी-देवता की मूर्तियाँ हैं, बहुत बड़े आकार में दो मूर्तियाँ हैं हनुमान जी की एक मूर्ति जिसकी ऊंचाई लगभग 50 फीट है और अर्ध-नरेश्वर की एक मूर्ति जिसकी ऊंचाई लगभग 45 फीट है।
चलित-मूर्ति, गुफा, फौहारा भी इस मंदिर के बहुत सुंदर हैं। अश्विन नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में माता की पावन भूमि पर पहुँचें तो वह समय देखने लायक होता है। माँ के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठता है। इस माहौल में खुद को शामिल करने में सक्षम होना एक बड़ा सौभाग्य के साथ बहुत बड़ी पुण्य की बात हैं।
12.आपसे बातें। Talk to you.
माँ चंद्रहासिनी के इस लेख को मैं सभी स्थानों से सामग्री एकत्र करके लिखा है, कही कोई त्रुटी या कोई भाव में गलत हो गया होगा तो कृपया मुझे कमेण्ड्स के माध्यम से अवगत कराये, साथ में galaday. in में लिखित पोस्ट को बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव दे सकते हैं, सुझाव देने के लिए आपका दिल से स्वागत हैं।
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